83 thoughts on “Download Manusmriti in Hindi

  1. विनोद परमार,
    आप की प्रजाती आलसी , दरिद्रता और गदंगी पसंद की है , अन्य धर्म या जाती के लोगो ने हमेशा आपको साथ रखा है पर आपके जो ये निचले कुचैले सोच रहन-सहन के और आलस्यता के वजह से आपने अपने आप को देश की मुख्य धारा से अलग थलग रखा नं करना नं करने देना …आप खुद ही आत्मचिन्तन करिये इस विषय पर DNA अपने आपमे ही मिल जायेगा !!! कोई मशनरी या टेक्नॉलॉजी असली DNA चेन्ज या जांच नही कर रखता हां बस उसकी तात्विक रिपोर्ट देगा पर वास्तविक नही …
    आज भी बहुतसे लोगो को देखता हु उनके बडे बडे चमकिले मकान तो है पर खाने पिने की बर्तनो से थोडी नं थोडी स्मेल जरूर आयेगी जो लोग अन्य धर्म जाति के लोगो से जुडे है उनके यहा आना जाना है वही आपके धर्म के लोग आप लोगो से नफरत भी देख्ने को मिलते है एक सरकारी क्लास वन अफसर तो साफ साफ कहता है की मै अपनी बेटीयो को अन्य धार्म मे ब्याहुंगा मगर बौद्ध धर्म मे कभी नही !!
    धन्यवाद !!
    अगर कडवी सच्चाई से मन दुःखी हुआ तो क्षमा करे और सत्य को स्विकारे !! अन्य धर्म जाति पर टिपनीयां लिखना आसान है …………

  2. ‘हिन्दू’ गुलामी का खेल है ।

    ‘हिन्दू’ के खेल में ‘भक्त’ रेफरी का काम करता है । मैदान में एक तरफ मुश्लिम होता है दूसरी तरफ बहुजन । लड़ाई में मुस्लिम भारी पड़ता है तो रेफरी रिजल्ट दंगाई का घोषित कर देता है, अगर बहुजन भारी पड़ता है तो रिजल्ट हिन्दू आंदोलनकारी का घोषित करता है ।
    मान लीजिए बहुजन पढ़-लिखकर जागरूक बन गया या फिर लाख कोशिशों के बाद नौकरी में आ गया तो यह ‘हिन्दू’ की नौकरी कौन करेगा ?
    इसलिए सत्ता में बैठे भक्तों की कोशिश होती है कि बहुजन शिक्षा और नौकरी से दूर ही रहें । इसके लिए वह दो उपाय करता है पहला उच्च शिक्षा की फीस मनमाना बड़ा देता है और यदि गलती से वह पढ़ भी गया तो नौकरी से बाहर रहे इसलिए दूसरा काम वह आरक्षण का विरोध करता है ।
    शासक भक्त जानता है ,आरक्षण खत्म करना मुश्किल काम है क्योंकि इससे वह सत्ता से दूर हो सकता है इसलिए वह आरक्षण वाली नौकरियों को ही समाप्त करने की जुगत करता है । न रहेगा बांस न बनेगी बांसुरी ।
    अधिकतर बहुजन ‘हिन्दू’ की नौकरी करने में गर्व करता है । शिक्षा वाली नौकरी उसकी दूसरी प्राथमिकता में होती है ।
    हिन्दू की नौकरी करने के चक्कर में अधिकतर बहुजन जेल की नौकरी करने लगता है । इससे शिक्षा वाली नौकरी स्वतः उससे कोसों दूर चली जाती है ।
    ‘हिन्दू’ का खेल कभी भी बहुजनों को शासक जमात नहीं बनने देगा और जबतक वह शासक जमात नहीं बनेगा तबतक नौकरी सहित अन्य क्षेत्रों में उसे न्याय नहीं मिल सकता ।
    जागो बहुजन जागो ! मुस्लिमों से भाई-चारा रखो ।

  3. ब्राम्हण बड़ा चतुर है भाइयो इसे भागने और घर वापसी करने के लिए अम्बेडकरवाद को जानना और समझना बेहद जरूरी है ।ब्राम्हण जनताः है की इस भारत देश मे जितने मुशलमान बसे है ओ यही के मुलनिएअसि है जो की धर्मपरिवर्तन से मुस्लिम धर्म अपनाये है उन्हें डर है की stsc obc और मुस्लिम एक हो जाएंगे तो ब्राम्हण ज खात्मा हो जायेगा इसलिए दुनिया भर का षन्यनत्र करता रहता है और जाति और धर्म के नाम पर लड़ाता रहा है आपस मे।
    देश बचना है तो ब्रामणवाद का खत्म जरूरी है।
    देश का दुश्मन ब्राम्हणवाद

  4. pradip sagar,
    aap pahle ye padho ki ambedkar kaun the?
    ambedkar nhi ek hindu hi the likin hindu dharm me jo vishamta hai vo unko pasand nahi thi, jo dharm manav-manav me bhedbhav kare wo unko pasand nahi tha. isiliye bad me unhone baudh dharm ka swikar kiya. Dr. Ambedkar ne sabhi dharma ka abhyas kiya tha.

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