खाने और न खाने के बीच में वह कौन है!
गाय-बैल को लेकर मचे बवाल में उससे तो पूछा ही नहीं गया, जो गाय-बैल पालता है? इन सबका सबसे ज्यादा आर्थिक असर तो उसी पर पड़ना है. खाने वाले तो कुछ और खा कर भी जी लेगे.
अगर आप पशुपालकों से उनके बूढे मवेशी नहीं खरीद सकते, तो आपको कोई नैतिक अधिकार नहीं है कि उन्हें वह अब तक जैसे बेच रहा है, उसे ऐसा से रोकें. वह पुराने मवेशी नहीं बेचेगा, तो नया मवेशी खरीदने के लिए आप चंदा देंगे क्या?
जो बवाल मचा रहे हैं, वे तो पालने से रहे. गोबर में हर दिन घुटना धंसाना कोई हंसी-खेल है क्या. जो पालता है, उससे भी तो पूछ लो कि वह क्या चाहता है. एक सैंपल सर्वे ही कर लेते.
और अगर बैन ही करना है तो सरकार को चाहिए कि हर गांव में पुराने मवेशी की खरीद का सेंटर बनाए. इस तरह से खरीदे गए मवेशियों को सरकारी या PPP मॉडल पर बने गौशालाओंं में रखा जाए.