फ्रेन्डशिप डे का ब्रह्मणीकरण

कल फ्रेंडशिप डे था । सभी दोस्तों ने एक दूसरों को मुबारक बात दी । इस बीच फ़्रेंडशिप डे को भी धार्मिक रंग देने के लिए ब्राह्मणों ने कृष्ण और सुदामा(ब्राह्मण) की दोस्ती को महिमा मंडित करने वाली पोस्टें सोशल मिडिया पर भी शेयर की । ब्राह्मण एक सडयंत्र के तहत हर जगह भगवान घुसेड़ता हैं, ताकि भूले से भी आप धार्मिक बेड़ियों से आज़ाद न हो । और ब्राह्मणों के इस सडयंत्र में हमारे कुछ कर्मकांडी भोले भाले मुर्ख दलित पिछड़े फ़स जाते है, कृष्ण सुदामा की दोस्ती की ऐसी ही पोस्ट कल मेरे पास भी आई । ऐसी पोस्टों पर मैंने उनसे सवाल किया की-

कितना अज़ीब धर्म है यह – “इसमें कृष्ण और सुदामा(ब्राह्मण) तो एक साथ पढ़ सकते है, दोस्त भी हो सकते है। परन्तु अर्जुन और एकलव्य(शुद्र) एक साथ नही पढ़ सकते, दोस्ती तो दूर की बात हैं!!

नागपंचमी विशेषांक का एक वैज्ञानिक विश्लेषण

 दो प्रकार के होते है एक वो जो अंडे से जन्म लेते है इन्हें अण्डज कहते है, इन जीवों के स्तन ही नहीं होते है, जैसे कबूतर, कौआ, छिपकली, मगरमच्छ, सांप आदि। इसलिय इनकी माता इन्हें दूध नहीं पिलाती।

दूसरे वो जीव जो सीधे माँ के पेट से जन्म लेते है इन्हें स्तन होते है इसलिय स्तनधारी कहलाते है। 

केवल स्तनधारी जीव ही दूध के प्रति ललायित होते है। यह जीव ही दूध का उत्पादन करते है और दूध पीते है।

जैसे गाय, बकरी, बिल्ली, कुत्ता, बन्दर, मनुष्य आदि।
सांप जैसे अंडे से जन्म लेने वाले जीव दूध का सेवन नहीं करते है और न ही दूध का पाचन इनके शरीर में होता है। भूखा सांप मज़बूरी में दूध पी लेता है जिसका शरीर में पाचन न होने से वो बीमार हो जाता है। दूध उसके लिये हानिकारक है। कई बार सांप मर भी जाता है।
इसलिये अपनी अवैज्ञानिक अव्यवहारिक अंधश्रृद्धा की पूर्ति के लिये सांप को दूध पिला कर उसके जीवन से खिलवाड़ न करें।

जय भीम जय भारत

कथिक OBC पीएम नरेंद्र मोदी के आफिस में 53 अफसरों में एक भी पिछड़ा(OBC) नहीं ।

नरेंद्र मोदी के आफिस में 53 अफसरों में एक भी पिछड़ा(OBC) नहीं ।

भाजपा इन दिनं ढ़िंढोरा पीट रही है कि पीएम नरेंद्र मोदी  पिछड़ा वर्ग(obc) से हैं लेकिन चकित करने वाली बात है कि उनके कैबिनेट सचिवालय के कुल 53 अफसरों में पिछड़ा समाज और एसटी श्रेणी का एक भी अफसर नहीं है.

आरटीआई से प्राप्त इस सूची में 53 में से जनल कटेगरी के 44 अफसर हैं.

इस सूची के अवकलन से यह बात स्पष्ट होती है कि केंद्र सरकार ओबीसी अफसरों पर या तो भरोसा नहीं करती या उन्हें सरकार के इस महत्वपूर्ण महकमें में काम करने के योग्य नहीं समझती. जबकि नौकरशाही में 35 प्रतिशत तक ओबीसी के अफसर हैं.
एक तरफ जहां कैबिन सचिवालय में ओबीसी और एसटी श्रेणी के एक भी अफसर को जगह नहीं दी गयी है वहीं इस महकमें में एससी श्रेणी के 7 अफसर हैं.

वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने आरटीआई से प्राप्त इस लिस्ट को सोशल साइट पर डाला है.

कैबिनट सचिवनालय की इस सूची के सार्वजनिक होने के बाद फेसबुक पर जोर दार बहस हो रही है. नवनीत ने फेसबुक पर लिखा है कि अफसोस एक भी ओबीसी नहीं. धन्य है फर्जी पिछड़ा सम्राट( नरेंद्र मोदी) किसी को जातिवाद देखना हो तो वह व्यवस्था के अंदर आकर देखे.

आरटीआई से प्राप्त सूची

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संत रैदास के अंधविस्वास, पाखंड, कर्मकांड, जातिवाद, ब्रामणवाद पर करारी चोट करते दोहे ।।

👉रैदास एक ही बूँद से, भयो सब विस्तार ।
     मुर्ख है जो करे वर्ण अवर्ण विचार ।।
     – रैदास
इसके माध्यम से संत रैदास उस #कृष्ण को #मुर्ख बता रहे है । जो इंसान को अलग अलग बांटता है, जो गीता में इंसानो में ही भेद-भाव कर उन्हें अलग-अलग वर्ण अवर्ण जातियों में बांटता है । जबकि रैदास के अनुसार इंसान सभी एक ही है ।

👉तोडू न पाती, पूंजू न देवा ।
     बिन पत्थर, करें रैदास सहज सेवा ।।
    – रैदास
अर्थ- बिना किसी फूल माला, पत्तियां तोड़े बिना, न ही किसी देवी-देवता की पूजा करे बिना, न ही इन पथरों के भगवानों को पूजे बिना अर्थात पूजा कर्मकांड पाखंड अंधविस्वास के बिना इंसान को केवल सत्य कर्म मानवता की सहज सेवा करनी चाहिए. संसार में प्रेम ,भाईचारा, नैतिकता, मानवता ही सबसे बड़ी सेवा है ।

👉मेरी जाति कुट बांढला,ढोर ढुंवता नित ही बनारस आसा पासा।
    अब विप्र प्रधान तिहि करें दंडवति, तोरे नाम सरणाई रैदासा ।।
    – रैदास
मैं रैदास नीची जाति का समझा जाता हूँ तथा मेरे जैसे लोग रोजाना बनारस के आसपास मरे हुए पशु ढोते है. अब देखो विप्र(ब्राह्मणों) का प्रधान(रामानंद) मुझे दण्डवत प्रणाम कर रहा है और मेरी शरण में आता है ।”रैदास परचई” में इस किस्से का वर्णन है की रामानन्द ने गुरु रैदास व कबीर से धर्म पर बहस की और उनसे हार गये. तत्पश्चात उन्हें अपना गुरु स्वीकार करते है ।

👉कहें रैदास सुनो भाई सन्तों, ब्राह्मण के है गुण तीन ।
     मान हरे, धन सम्पत्ति लुटे और मति ले छीन ।।
     – रैदास

👉रैदास हमारे रामजी दशरथ जे सुत नाहीं ।
     राम रम रह्यो हमीं में, बसें कुटुम्भ माहीं ।।
     – रैदास
मेरा राम(ईश्वर) वह राम नही है जो दसरथ का बेटा है ।मेरा राम तो मेरे रोम रोम में है, मेरे कर्म में है. मौको कहा ढूंढे रे बन्दे मैं तो तेरे पास में ।

👉रैदास हमारे रामजी दशरथ जे सुत नाहीं ।
     राम रम रह्यो हमीं में, बसें कुटुम्भ माहीं ।।
     – रैदास
मेरा राम(ईश्वर) वह राम नही है जो दसरथ का बेटा है ।मेरा राम तो मेरे रोम रोम में है, मेरे कर्म में है. मौको कहा ढूंढे रे बन्दे मैं तो तेरे पास में ।

👉जात जात के फेर में उलझ रहे सब लोग ।
     मनुष्यता को खा रहा, रैदास जात का रोग ।।
     जात-जात में जात है, ज्यो केले में पात ।
     रैदास मानस न जुड़ सके, जब तक जात न जात ।।
     – रैदास
अर्थ- रैदास इस दोहे में ब्राह्मणों आर्यो की बनाई वर्ण-व्यवस्था जाति व्यवस्था की कड़ी आलोचना करते हुए कहते है की ब्राह्मणों का बनाया जातिवाद का यह ज़हर सब में फेल गया है. जिसे देखो वह जाति के इस घिन्होंने दलदल में उलझ रखा है। रैदास कहते है की जाति एक रोग है बिमारी है जो इंसान को खाय जा रही है जिससे इंसानो के अन्दर का इंसान ही ख़त्म हो रहा है. जाति से पनपे भेदभाव, छुआछूत, गैरबराबरी शोषण ने इंसानियत मानवता को ही ख़त्म कर दिया है । अपने दूसरे दोहे में रैदास कहते है की ब्राह्मणों ने इंसान को जातियों जातियो उसमे भी अनगिनत जातियो में बाँट रखा है । रैदास जातियो के इस विभाजन की तुलना केले के कमजोर तने से करते है जो केवल पतियों से ही बना होता है । जैसे केले के तने से एक पत्ते को हटाने पर दूसरा पत्ता निकल आता है ऐसे ही दूसरे को हटाने पर तीसरा चौथा पांचवा .. ऐसे करते करते पूरा पेड़ ही ख़त्म हो जाता है । उसी प्रकार इंसान जातियो में बटा हुआ है । जातियों के इस विभाजन में इंसान बटता बटता चला जाता है पर जाति ख़त्म नही होती, इंसान ख़त्म हो जाता है । इसलिए रैदास कहते है की जाति को ख़त्म करें. क्योकि इंसान तब तक जुड़ नही सकता,एक नही हो सकता, जब तक की जाति नही चली जाती ।

👉सौ बरस रहो जगत में, जीवत रह कर करो काम ।
     रैदास करम ही धरम है, करम करो निष्काम ।।
     – रैदास
अर्थ – रैदास कहते है की आप 100 वर्ष जियो या जितना भी जियो पर जब तक जीवित हो काम करे । ब्राह्मणों के सडयंत्र “भक्ति” में न उलझे, भक्ति मूर्खो का काम है । ब्राह्मण तुम्हे भक्ति के नाम पर तुम्हे निठल्ला कामचोर बोझ बनाता है. तुम्हे माला जपना राम नाम जपने में उलझाये रखता है । आपके पास पहले से ही धन का आभाव है ब्राह्मणों ने आपको खूब लूटा है, इसलिए आप जब तक जीवित हो काम करें और काम का पैसा भी पूरा लेंवे। ब्राह्मणों के “कर्म किये जा फल की चिन्ता ना कर ” जाल में न उलझे. रैदास आगे और खुलकर कहते है-

👉“करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस |
     कर्म मानुष का धर्म है, सत् भाखै रविदास” ||
भावार्थ-
इस श्लोक में गुरु रैदास अपने सेवकों को काम करने की प्रेरणा देते हुए कहते हैं कि, “आप अपने काम (मेहनत) करने की निति में सदा ही बंधे (लगे) रहना, परन्तु उसके बदले में जो आपको मजदूरी मिलनी है, उसकी आशा कभी भी नहीं छोडनी है | क्योंकि काम (मेहनत) करना मनुष्य का धर्म है, यह बात मैं आपको सच करके बता रहा हूँ ” ||
इस तरह गुरु रैदास ने काम (मेहनत-मजदूरी) करने के बदले में दाम (पैसा) की भी खुल कर वकालत की है |

👉हिन्दू धर्म में #मन्त्रो का महत्वपूर्ण स्थान है ।
बिना मन्त्र उच्चारणों के उनका कोई भी कार्य सम्पन नही होता । हिन्दू अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक पूरे जीवन इन मन्त्रो को जपने में उलझा रहता है ।
दरसल हिन्दू इन मन्त्रो को जपने की प्रेरणा अपने ही देवताओ से लेते है । #हनुमान राम राम जपता है, #नारद नारायण नारायण जपता है, आजकल कई #राधे_राधे भी जपते है। इनके इस तरह नाम या मन्त्र जपने से क्या हासिल होता है यह समझ से परे है ।
अब #कबीर और #रैदास अपनी क्लास लगते है , अपनी क्लास में ब्राह्मणवाद पर चपेट मार सवाल करते हैं. की क्या गुड़- गुड़ जपने से क्या मुह मीठा हो जाता है क्या ? क्या रोटी-रोटी जपने से पेट भर जाता है क्या ? अगर नही. तो फिर यह मूर्खता क्यों ? भक्ति तो मूर्खो का काम है. समझदारो को यह शोभा नही देती। समझदार बने सत्य कर्म करे लोगो को इन धर्म भक्ति  कर्मकांड अंधविस्वास से मुक्त करे ।
“काहे पण्डे तू जपे,  राम हरि बारम बार ।
तो काहे न होई मुह मीठा, जपे गुड़ हज़ार बार ।

मूलनिवासी बहुजन नायक ” पेरियार” का जीवन परिचय-

मूलनिवासी बहुजन नायक ” पेरियार” का जीवन परिचय-

1)दक्षिण भारत में मूलनिवासी बहुजनो के हकों की रक्षा के लिए जूझने वाले पेरियार का जन्म 17 सितम्बर, 1879 को पश्चिमी तमिलनाडु स्थित इरोड में एक सम्पन्न, ओबीसी में हुआ था ।
2)इनका पूरा नाम इरोड वेंकट रामास्वामी नायकर(e.v रामस्वामी नायकर) था । प्यार से लोग उन्हें लोग “पेरियार” कह के बुलाते थे जिसका अर्थ था पवित्र आत्मा ।

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3)1885 में उन्होंने एक स्थानीय प्राथमिक विद्यालय में दाखिला लिया । पर कोई पाँच साल से कम की औपचारिक शिक्षा मिलने के बाद ही उन्हें अपने पिता के व्यवसाय से जुड़ना पड़ा ।
4)उनके घर पर भजन तथा उपदेशों का सिलसिला चलता ही रहता था । बचपन से ही वे इन उपदशों में कही बातों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाते रहते थे । हिन्दू महाकाव्यों तथा पुराणों में कही बातों की परस्पर विरोधी तथा बेतुकी बातों का माखौल भी वे उड़ाते रहते थे ।
5) बाल विवाह, देवदासी प्रथा, विधवा पुनर्विवाह के विरूद्ध अवधारणा, स्त्रियों तथा मूलनिवासी बहुजनो के शोषण के पूर्ण विरोधी थे । उन्होने हिन्दू वर्ण व्यवस्था का भी बहिष्कार किया ।
6)उनकी बढ़ती सामाजिकता से चिंतित उनके पिता ने 19 वर्ष की अल्पायु में ही नागअम्भाल नामक 14 वर्षीय लड़की से इनका विवाह कर दिया । उन्होने अपना पत्नी को भी अपने विचारों से ओत प्रोत किया । लेकिन वैवाहिक बंधन भी नायकर को ब्राह्मण विरोध से न रोक सका । अध्ययन पूरा करते ही पेरियार जी जान से सामाजिक सुधारों में जुट गये ।
7)अपार वैभव में पले रामास्वामी को किसी तरह की कमी नहीं थी । परंतु कट्टरता के भयानक परिणामों को देख कर बचपन से ही नायकर के मन में हिन्दू रूढ़िवाद के प्रति अक्रोश उत्पन्न होने लगा । तमिल बहुजनो की पीड़ा का अहसास कर वह क्षुब्ध हो जाते थे । उन्हें लगता था कि उत्तर भारतीय ब्राह्मणों का सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक वर्चस्व ही मूलनिवासी बहुजनो की पीड़ा का मुख्य कारण है । इन बातों से दुःखी होकर पेरियार ने यह संकल्प लिया कि वह इस अन्याय को मिटा कर रहेंगे । पेरियार के इस निश्चय से ब्राह्मणों के एक बड़े वर्ग में खलबली मच गयी और उन्होंने पेरियार को ब्राह्मण विरोधी व नास्तिक करार दिया
|
8) 1923 ई. में वायकोम मन्दिरों में अछूतों[ के प्रवेश को लेकर इन्होंने ‘आत्म सम्मान’ आन्दोलन चलाया । इन्होंने सामाजिक समानता पर बल दिया |

9)मनुस्मृति को जलाया तथा ब्राह्मणों के बिना विवाह करवाए ।

10) इन्होंने ‘कुदी अरासु’ नामक ग्रंथ लिखा ।

11)ईश्वर विरोधी समिति के निमंत्रण पर वे रूस गए तथा लौटने के बाद वे काँग्रेस से अलग हो गए एवं द्रविड़ मुनेत्र कडगम की स्थापना की । इस पार्टी के माध्यम से उन्होंने गैर-ब्राह्मणों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग की ।
12)रामास्‍वामी पेरियार बीसवीं सदी के तमिलनाडु के एक प्रमुख राजनेता थे । इन्होने जस्टिस पार्टी का गठन किया, जिसका सिद्धान्त रुढ़िवादी हिन्दुत्व का विरोध था । हिन्दी के अनिवार्य शिक्षण का भी उन्होने घोर विरोध किया । भारतीय तथा विशेषकर दक्षिण भारतीय समाज के शोषित वर्ग को लोगों की स्थिति सुधारने में इनका नाम शीर्षस्थ है । 1973 ई. में इनकी मृत्यु हो गई । जाति भेद के विरोध में इनका संघर्ष उल्लेखनीय रहा ।

13) काशी यात्रा और परिणाम –
1904 में पेरियार ने एक ब्राह्मण, जिसका कि उनके पिता बहुत आदर करते थे, के भाई को गिरफ़्तार किया जा सके न्यायालय के अधिकारियों की मदद की । इसके लिए उनके पिता ने उन्हें लोगों के सामने पीटा । इसके कारण कुछ दिनों के लिए पेरियार को घर छोड़ना पड़ा । पेरियार काशी चले गए । वहां निःशुल्क भोज में जाने की इच्छा होने के बाद उन्हें पता चला कि यह सिर्फ ब्राह्मणों के लिए था । हिन्दुत्व के विरोध की ठान ली । चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के अनुरोध पर 1919 में उन्होने कांग्रेस की सदस्यता ली । इसके कुछ दिनों के भीतर ही वे तमिलनाडु इकाई के प्रमुख भी बन गए । केरल के कांग्रेस नेताओं के निवेदन पर उन्होने वाईकॉम आन्दोलन का नेतृत्व भी स्वीकार किया जो मन्दिरों कि ओर जाने वाली सड़कों पर अछूतों के चलने की मनाही को हटाने के लिए संघर्षरत था । उनकी पत्नी तथा दोस्तों ने भी इस आंदोलन में उनका साथ दिया ।
14) कांग्रेस का परित्याग – युवाओं के लिए कांग्रेस द्वारा संचालित प्रशिक्षण शिविर में एक ब्राह्मण प्रशिक्षक द्वारा गैर-ब्राह्मण छात्रों के प्रति भेदभाव बरतते देख उनके मन में कांग्रेस के प्रति विरक्ति आ गई । उन्होने कांग्रेस के नेताओं के समक्ष मूलनिवासी बहुजनो के लिए आरक्षण का प्रस्ताव भी रखा जिसे मंजूरी नहीं मिल सकी । अंततः उन्होने कांग्रेस छोड़ दिया ।

15) सोवियत रूस के दौरे पर जाने पर उन्हें साम्यवाद की सफलता ने बहुत प्रभावित किया । वापस आकर उन्होने आर्थिक नीति को साम्यवादी बनाने की घोषणा की । पर बाद में अपना विचार बदल लिया । फिर इन्होने जस्टिस पार्टी, जिसकी स्थापना कुछ गैर ब्राह्मणों ने की थी, का नेतृत्व संभाला ।1944 में जस्टिस पार्टी का नाम बदलकर द्रविदर कड़गम कर दिया गया ।

16)पेरियार ने मूलनिवासी बहुजनो को ब्राह्मणों के धार्मिक षड्यंत्र से निकालने में बहुत मेहनत की और ”सच्ची रामायण” नाम की किताब लिख ,ब्राह्मणों के ग्रंथो की पोल भी खोली !! उन्होने हमेशा अपने को सत्ता की राजनीति से अलग रखा तथा आजीवन मूलनिवासी बहुजनो तथा स्त्रियों की दशा सुधारने के लिए प्रयास किया । मूलनिवासी बहुजन समाज पेरियार का सदैव आभारी रहेगा !! image   📢 पेरियार वाणी 📢

1. ब्राहमण आपको भगवान के नाम पर मुर्ख बनाकर अंधविश्वास में निष्ठा रखने के लिए तैयार करता है | ओर स्वयं आरामदायक जीवन जी रहा है, तथा तुम्हे अछूत कहकर निंदा करता है | देवता की प्रार्थना करने के लिए दलाली करता है | मै इस दलाली की निदा करता हू | ओर आपको भी सावधान करता हू की ऐसे ब्राहमणों का विस्वास मत करो |
2. उन देवताओ को नष्ट कर दो जो तुम्हे शुद्र कहे , उन पुराणों ओर इतिहास को ध्वस्त कर दो , जो देवता को शक्ति प्रदान करते है | उस देवता कि पूजा करो जो वास्तव में दयालु भला ओर बौद्धगम्य है |
3. ब्राहमणों के पैरों में क्यों गिरना ? क्या ये मंदिर है ? क्या ये त्यौहार है ? नही , ये सब कुछ भी नही है | हमें बुद्धिमान व्यक्ति कि तरह व्यवहार करना चाहिए यही प्रार्थना का सार है |
4. अगर देवता ही हमें निम्न जाति बनाने का मूल कारन है तों ऐसे देवता को नष्ट कर दो , अगर धर्म है तों इसे मत मानो ,अगर मनुस्मृति , गीता, या अन्य कोई पुराण आदि है तों इसको जलाकर राख कर दो | अगर ये मंदिर , तालाब, या त्यौहार है तों इनका बहिस्कार कर दो | अंत में हमारी राजनीती ऐसी करती है तों इसका खुले रूप में पर्दाफास करो |

5. संसार का अवलोकन करने पर पता चलता है की भारत जितने धर्म ओर मत मतान्तर कही भी नही है | ओर यही नही , बल्कि इतने धर्मांतरण (धर्म परिवर्तन ) दूसरी जगह कही भी नही हुए है ? इसका मूल कारण भारतीयों का निरक्षर ओर गुलामी प्रवृति के कारन उनका धार्मिक शोसन करना आसान है |

6. आर्यो ने हमारे ऊपर अपना धर्म थोपकर ,असंगत,निर्थक ओर अविश्नीय बातों में हमें फांसा | अब हमें इन्हें छोड़कर ऐसा धर्म ग्रहण कर लेना चाहिए जो मानवता की भलाई में सहायक सिद्ध हो |

7. ब्राहमणों ने हमें शास्त्रों ओर पुराणों की सहायता से गुलाम बनाया है | ओर अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मंदिर , ईश्वर,ओर देवि -देवताओं की रचना की |
8. सभी मनुष्य समान रूप से पैदा हुए है , तों फिर अकेले ब्रहमान उंच व् अन्यों को नीच कैसे ठहराया जा सकता है |

9. संसार के सभी धर्म अच्छे समाज की रचना के लिए बताए जाते है , परन्तु हिंदू -आर्य , वैदिक धर्म में हम यह अंतर पाते है कि यह धर्म एकता ओर मैत्री के लिए नही है |

10. आप ब्राह्मणों के जल में फसे हो. ब्राह्मण आपको मंदिरों में खुसने नदी देते ! ओर आप इन मंदिरों में अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई लूटाते हो ! क्या कभी ब्राहमणों ने इन मंदिरों, तालाबो या अन्य परोपकारी संस्थाओं के लिए एक रुपया भी दान दिया ????

11.ब्राहमणों ने अपना पेट भरने हेतु अस्तित्व , गुण ,कार्य, ज्ञान,ओर शक्ति के बिना ही देवताओं की रचना करके ओर स्वयभू *भुदेवता * बनकर हंसी मजाक का विषय बना दिया है |
12. सभी मानव एक है हमें भेदभाव रहित समाज चाहिए , हम किसी को प्रचलित सामाजिक भेदभाव के कारन अलग नही कर सकते |
13. हमारे देश को आजादी तभी मिल गई समझाना चाहिए जब ग्रामीण लोग, देवता ,अधर्म , जाति ओर अंधविस्वास से छुटकारा पा जायेंगे |

14. आज विदेशी लोग दूसरे ग्रहों पर सन्देश ओर अंतरिक्ष यान भेज रहे है ओर हम ब्राहमणों के द्वारा श्राद्धो में परलोक में बसे अपने पूर्वजो को चावल ओर खीर भेज रहे है | क्या ये बुद्धिमानी है ???
15. ब्राहमणों से मेरी यह विनती है कि अगर आप हमारे साथ मिलकर नही रहना चाहते तों आप भले ही जहन्नुम में जाए| कम से कम हमारी एकता के रास्ते में मुसीबते खड़ी करने से तों दूर जाओ | . ब्राहमण सदैव ही उच्च एवं श्रेष्ट बने रहने का दावा कैसे कर सकता है ?? समय बदल गया है उन्हें निचे आना होगा , तभी वे आदर से रह पायेंगे नही तों एक दिन उन्हें बलपूर्वक ओर देशाचार के अनुसार ठीक होना होगा |

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👉 #नास्तिकता मनुष्य के लिए कोई सरल स्तिथि नहीं है, कोई भी मुर्ख अपने आप को आस्तिक कह सकता है, ईश्वर की सत्ता स्वीकारने में किसी बुद्धिमत्ता की आवश्यकता नहीं पड़ती, लेकिन नास्तिकता के लिए बड़े साहस और दृढ विश्वास की जरुरत पड़ती है, यह स्तिथि उन्ही लोगो के लिए संभव है जिनके पास तर्क तथा बुद्धि की शक्ति हो !….. :- E V रामास्वामी नायकर(पेरियार)

👉”अगर देवता ही हमें निम्न जाति बनाने का मूल कारन है तों ऐसे देवता को नष्ट कर दो , अगर धर्म है तों इसे मत मानो ,अगर मनुस्मृति , गीता, या अन्य कोई पुराण आदि है तों इसको जलाकर राख कर दो | अगर ये मंदिर , तालाब, या त्यौहार है तों इनका बहिस्कार कर दो | अंत में हमारी राजनीती ऐसी करती है तों इसका खुले रूप में पर्दाफास करो |” :- रामास्वामी पेरियार

👉ब्राहमण आपको भगवान के नाम पर मुर्ख बनाकर अंधविश्वास में निष्ठा रखने के लिए तैयार करता है |ओर स्वयं आरामदायक जीवन जी रहा है, तथा तुम्हे अछूत कहकर निंदा करता है | देवता की प्रार्थना करने के लिए दलाली करता है | मै इस दलाली की निदा करता हू | ओर आपको भी सावधान करता हू की ऐसे ब्राहमणों का विस्वास मत करो | :- e.v. रामास्वामी पेरियार

👉# विदेशी लोग दुसरे ग्रहों पर ‘संदेश’ भेज रहे हैं और हम ‘ब्राह्मणों’ के द्वारा ‘श्राधों’ में अपने पूर्वजों को ‘चावल तथा खीर’ भेज रहे हैं | क्या ‘यक’ बुद्धिमानी है ?? ” :- पेरियार

👉29 मार्च 1931 को तमिल साप्ताहिक कुडियारासु के सम्पादकीय में पेरियार ने भगत सिंह और गाँधी की तुलना करते हुए भगत सिंह के विचारों के साथ अपनी सहमति जतायी थी. उन्होंने लिखा -“जिस दिन गाँधी ने कहा कि केवल ईश्वर ही उनका मार्गदर्शन करता है, दुनिया को चलाने में वर्णाश्रम धर्म व्यवस्था ही उचित है और हर काम भगवान की इच्छा के अनुसार ही होता है, उसी दिन हम इस निष्कर्ष पर पहुँच गये की गाँधीवाद और ब्राह्मणवाद में कोई अंतर नहीं है. हम इस नतीजे पर भी पहुंचे की अगर ऐसे दर्शन को मानने वाली कांग्रेस पार्टी का खात्मा नहीं होता तो यह देश के लिए अच्छा नहीं होगा और अब यही सच्चाई कम से कम कुछ लोगों को हासिल हो गयी है. उन्होंने गांधीवाद के पतन का आह्वान करने का विवेक और साहस हासिल कर लिया है. यह हमारे उद्देश्य की बहुत बड़ी जीत है.

👉# ईश्वर को धुर्तों ने बनाया,गुण्डों ने लागू किया ,मुर्ख उसमें आस्था रखते हैं | :- पेरियार
👉भगवान को नही मानने वाले पेरियार रामास्वामी 94 साल जिए थे ।
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” तिलक(ब्राह्मण) तराजू(बनिया) और तलवार(क्षत्रिय), मिलकर मारो जूते चार !! “

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खेल में आरक्षण नही हैं. सिर्फ और सिर्फ ब्राह्मण बनियो राजपुतो की मेरिट है । अब बताओ कहा है आपकी मेरिट ?? ओलंपिक की पॉइंट्स टेबल में आप जमैका, कीनिया, युगांडा से भी नीचे हो इतने नीचे की आसानी से नज़र भी नही आते । देश को पीछे रखने में इन मनुवादिओ का बहुत बड़ा योगदान है |
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दुनिया की टॉप 200 यूनिवर्सिटी में भारत की एक भी नही.
इसके लिए शर्म किसे आनी चाइये
किसने देश की नाक कटाई ?
आइये देंखे ! देश के विश्वविद्यालयों में कुलपतियों का जातीय विवरण किस प्रकार से है:
अपर कास्ट (Gen.) – 90 %
OBC – 6.9 %
SC- 3.1 %
ST – 0 %
स्रोत : डेली मिरर
इसीप्रकार बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) की सालाना रिपोर्ट(2010-11) के मुताबिक वहां प्रोफेसर पदों का जातीय विवरण :
Total-670
General- 668
SC-2
ST-0
OBC-0
हैं. अब अगर देश की BHU समेत सभी यूनिवर्सिटीया टॉप यूनिवर्सिटी की वर्ल्ड रैंकिंग में कहीं नहीं है, तो इसके लिए शर्म किसे आनी चाहिए? वैसे तो इसके लिए पूरा देश शर्मिंदा है. पर ज्यादा शर्म किन्हें आनी चाहिए? ?
देश का नाम मिट्टी में मिलाने वालो को देश कभी माफ़ नही करेगा ।
” तिलक(ब्राह्मण) तराजू(बनिया)
और तलवार(क्षत्रिय),
मिलकर मारो जूते चार !! “

कबीर के अन्धविश्वास, पाखंड, भेदभाव,जातिवाद पर दोहे !!

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👉” जो तूं ब्रह्मण , ब्राह्मणी का जाया !
आन बाट काहे नहीं आया !! ”
– कबीर
(अर्थ- अपने आप को ब्राह्मण होने पर गर्व करने वाले ज़रा यह तो बताओ की जो तुम अपने आप की महान कहते तो फिर तुम किसी अन्य रास्ते से जाँ तरीके से पैदा क्यों नहीं हुआ ? जिस रास्ते से हम सब पैदा हुए हैं, तुम भी उसी रास्ते से ही क्यों पैदा हुए है ?)
कोई आज यही बात बोलने की ‘हिम्मंत’ भी नहीं करता ओर कबीर सदियों पहले कह गए ।। हमे गर्व हैं की हम उस महान संत के अनुयाई हैं । ऐसे महान क्रांतिकारी संत को कोटी कोटि नमन !!! सबको 2 जून कबीर जयंती मुबारक !!

👉 “लाडू लावन लापसी ,पूजा चढ़े अपार
पूजी पुजारी ले गया,मूरत के मुह छार !!”
– कबीर
(अर्थ – आप जो भगवान् के नाम पर मंदिरों में दूध, दही, मख्कन, घी, तेल, सोना, चाँदी, हीरे, मोती, कपडे, वेज़- नॉनवेज़ , दारू-शारू, भाँग, मेकअप सामान, चिल्लर, चेक, केश इत्यादि माल जो चढाते हो, क्या वह बरोबर आपके भगवान् तक जा रहा है क्या ?? आपका यह माल कितना % भगवान् तक जाता है ? ओर कितना % बीच में ही गोल हो रहा है ? या फिर आपके भगवान तक आपके चड़ाए गए माल का कुछ भी नही पहुँचता ! अगर कुछ भी नही पहुँच रहा तो फिर घोटाला कहा हो रहा है ? ओर घोटाला कौन कर रहा है ? सदियों पहले दुनिया के इस सबसे बड़े घोटाले पर कबीर की नज़र पड़ी | कबीर ने बताया आप यह सारा माल ब्राह्मण पुजारी ले जाता है ,और भगवान् को कुछ नहीं मिलता, इसलिए मंदिरों में ब्राह्मणों को दान करना बंद करो )

#‎अन्धविश्वास_पर_कबीर_की_चोट‬ !!
‪#‎हिन्दुओ_पर‬ 🔨
👉”पाथर पूजे हरी मिले,
तो मै पूजू पहाड़ !
घर की चक्की कोई न पूजे,
जाको पीस खाए संसार !!”
– कबीर
👉”मुंड मुड़या हरि मिलें ,सब कोई लेई मुड़ाय |
बार -बार के मुड़ते ,भेंड़ा न बैकुण्ठ जाय ||”
– कबीर
👉”माटी का एक नाग बनाके,
पुजे लोग लुगाया !
जिंदा नाग जब घर मे निकले,
ले लाठी धमकाया !!”
– कबीर
👉” जिंदा बाप कोई न पुजे, मरे बाद पुजवाये !
मुठ्ठी भर चावल लेके, कौवे को बाप बनाय !!
– कबीर
👉”हमने देखा एक अजूबा ,मुर्दा रोटी खाए ,
समझाने से समझत नहीं ,लात पड़े चिल्लाये !!”
– कबीर
‪#‎मुसलमानों_पर‬ 🔨
👉”कांकर पाथर जोरि के ,मस्जिद लई चुनाय |
ता उपर मुल्ला बांग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय ||”
– कबीर
‪#‎हिन्दू_मुस्लिम_दोनों_पर‬ 🔨
👉”हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना,
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना।”
– कबीर
(अर्थ : कबीर कहते हैं कि हिन्दू राम के भक्त हैं और तुर्क (मुस्लिम) को रहमान प्यारा है. इसी बात पर दोनों लड़-लड़ कर मौत के मुंह में जा पहुंचे, तब भी दोनों में से कोई सच को न जान पाया।)

‪#‎हिन्दुओ_की_जाति_पर_कबीर_की_चोट‬
💐”जाति ना पूछो साधू की, पूछ लीजिये ज्ञान !
मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान !!
– कबीर
💐”काहे को कीजै पांडे छूत विचार।
छूत ही ते उपजा सब संसार ।।
हमरे कैसे लोहू तुम्हारे कैसे दूध।
तुम कैसे बाह्मन पांडे, हम कैसे सूद।।”
– कबीर
💐”कबीरा कुंआ एक हैं,
पानी भरैं अनेक ।
बर्तन में ही भेद है,
पानी सबमें एक ॥”
– कबीर
💐”एक बूँद ,एकै मल मुतर,
एक चाम ,एक गुदा ।
एक जोती से सब उतपना,
कौन बामन कौन शूद ”
– कबीर

‪#‎कबीर_की_सबको_सीख‬ ‪#‎बाकि_समझ_अपनी_अपनी‬

💐”जैसे तिल में तेल है,
ज्यों चकमक में आग I
तेरा साईं तुझमें है ,
तू जाग सके तो जाग II ”
– कबीर
💐मोको कहाँ ढूंढे रे बन्दे ,
मैं तो तेरे पास में।
ना मैं तीरथ में, ना मैं मुरत में,
ना एकांत निवास में ।
ना मंदिर में , ना मस्जिद में,
ना काबे , ना कैलाश में।।
ना मैं जप में, ना मैं तप में,
ना बरत ना उपवास में ।।।
ना मैं क्रिया करम में,
ना मैं जोग सन्यास में।।
खोजी हो तो तुरंत मिल जाऊ,
इक पल की तलाश में ।।
कहत कबीर सुनो भई साधू,
मैं तो तेरे पास में बन्दे…
मैं तो तेरे पास में…..
– कबीर

💐जो बुद्ध का विचार है वही विचार कबीर का है और वही विचार बाबासाहेब अम्बेडकर का है। कबीर टीका लगाने वाले सन्त नही बल्कि समतावादी और मानवतावादी विचारधारा के प्रणेता थे। जो बाते कबीर ने अपनी वाणी में कही वही बातें बाबासाहेब ने संविधान में लिख दी। अपने गुरु को इतनी बड़ी दक्षिणा दुनिया में शायद ही किसी शिष्य ने दी होगी।
वो कितने बड़े शैतान होंगे जिन्होंने कबीर जैसे महान् विज्ञानवादी और मानवतावादी सन्त को सीधा भक्ति से जोड़ दिया।
👉”कबीर भक्ति करते थे।” इसी एक ही लाइन ने कबीर की पूरी वाणी को तहस नहस कर दिया।

महाराणा प्रताप महान है या नही. परंतु उन्हें झूठा महिमा मंडित करने के लिए अकबर महान को नीचा दिखाने का खेला जा रहा खेल ।

दिनांक 26 जनवरी 2015 विद्यलय में 26 जनवरी की तैयारिया हो रही थी ।
इस बीच हमारे स्टाफ की साथी शिक्षिका ने कक्षा 8 के बच्चों को कविता गान के लिए एक कविता थमा दी । कविता का शीर्षक – “सुनकर राणा री ढसाल ! लहराती मेवाड़ी तलवार ! अकबर धुजो जाय !!..
बच्चों को यह कविता गाता देख मैंने बच्चों को बुलाया और मैंने उनसे सवाल किया की अकबर कैसे धुजा ?? एक और सवाल – हल्दीघाटी का युद्ध कौन हारा ??
बच्चों का जवाब – प्रताप हारा ।
सवाल – हल्दीघाटी युद्ध में अपनी जान बचाने के लिए युद्ध मैदान से डरकर कौन भागा ??
बच्चों का जवाब – प्रताप डर के भागा ।
सवाल – तो फिर धुजा कौन जाय ??
बच्चों का जवाब – प्रताप ??
मैंने कहा बिलकुल सही कहा, यह गाना तो गलत है । डर कर तो प्रताप भागा तो प्रताप ही धुजेगा !! जो डरता है वही धुजेगा ! जाओ मेडम के पास जाओ और कहो की मेडम यह गाना गलत है ! इस गाने में प्रताप धूजना चाहिए ? बच्चों ने जाके मेडम से कहा की गाना गलत है । मेडम इसमें प्रताप धूजना चाहिए ?? मेडम ने कहा नही गाना सही है ! बच्चों ने पुनः कहा – नही मेडम हल्दीघाटी के युद्ध में डर के प्रताप भागा था ! मेडम हक्की बक्की ?? यह बातें तुम्हे किसने कही ?? बच्चों का जवाब – दीपक जी सर ने ।
मेडम – तुम दीपक जी सर के पास जाओ ! में आती हु ! फिर मेडम और मेरे बीच वार्तालाप हुआ ? इस बीच बच्चे भी एन्जॉय कर रहे थे साथ ही और भी साथी शिक्षक आ गए । इस बात को कोई नकार नही पा रहा था की प्रताप डर के भागे थे । मैंने कहा प्रताप की अकबर से तुलना तो हो ही नही सकती । मेडम- दीपक जी आप क्या चाहते हो ? मैंने कहा गाने में अकबर धुजो जाये की जगह सत्य चीज लिखे प्रताप धुजो जाय । मेडम हंसने लग गई,और कहा यह कैसे होगा ? मैंने कहा प्रताप महान है या नही परन्तु आप प्रताप को झूंठा महान बनाने के लिए अकबर को नीचा क्यों बता रहे हो । चलो इस बार 26 जनवरी पर पहली बार अकबर महान पर कुछ हो जाये ? मेडम ने दबी आवाज़ में कहा – अकबर तो मुसलमान था । मैं कहा मेडम आप कहा हो ? यह देश धर्मनिरपेक्ष है. हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई बौद्ध सब बराबर । फिर मेडम ने कहा अकबर मुग़ल था विदेशी था । मैंने कहा – तो फिर प्रताप कौनसा स्वदेशी था ? सब जानते है आर्य बाहर से आये. विदेशी थे ? देश में सभी उच्च जाति के लोग विदेशी है । अंततः प्रोग्राम से वह गाना हटा दिया गया ।

!! ब्रह्मा तथा सरस्वती की कहानी !!

image !! ब्रह्मा का अपनी ही पुत्री के साथ बलात्कार !! हिन्दू धर्म शास्त्रानुसार देवी सरस्वती ब्रह्मा की पुत्री थी । सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है, लेकिन विद्या की यह देवी बेहद खूबसूरत और आकर्षक थीं कि स्वयं ब्रह्मा भी सरस्वती के आकर्षण से खुद को बचाकर नहीं रख पाए और उन्हें अपनी अर्धांगिनी बनाने पर विचार करने लगे। सरस्वती ने अपने पिता की इस मनोभावना को भांपकर उनसे बचने के लिए चारो दिशाओं में छिपने का प्रयत्न किया लेकिन उनका हर प्रयत्न बेकार साबित हुआ। इसलिए विवश होकर उन्हें अपने पिता के साथ विवाह करना पड़ा। 👉विकिपीडिया पर ब्रह्मा की पत्नियो में सावित्री के साथ सरस्वती का भी उलेख है । ब्रह्मा और सरस्वती से एक पुत्र भी हुआ जिसका स्वयंभु मनु था । कहा जाता है की पृथ्वी पर पहला मानव मनु था । अधिक जानकारी के लिए 👇 http://hi.m.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%BE